दिल्ली में ऑटो वाले और रिक्शे वाले अच्छे मिल जाए तो लगता है पिछले जन्म के अच्छे करम का कोई फल मिला है । पहले पुरानी दिल्ली की भूल भुलैया में गुम हुई, परेशान इतना हुई कि अमरुद खरीद के खाना भूल गयी और फिर भागमभाग से परेशान । मेट्रो स्टेशन के लिये रिक्शा लेना ही उचित समझा । रिक्शे वाले अंकल से हुई बातचीत ---
- कैसी सड़क है !!! पता नहीं भगवान ने कैसी सड़क बनायी है ।
- हाहा, भगवान ने बनायी है ये सड़क ?
- और नहीं तो क्या ! आदमी को पढ़ा लिखा होना चाहिए.. चाहे कोई भी काम करता हो, लेकिन पढ़ा होना चाहिए । जैसे मैं रिक्सा चलाता हूँ और भी कई सारे काम करता हूँ । जैसे ये विदेसी लोग आते हैं, कुछ बोलेंगे और हम इनका मुंह ही देखते रह जायेंगे । पहले तो इंगलिस मुझे आती नहीं थी । फिर धीरे धीरे सीखा । ये होती है ना, डिशनरी.. वो खरीद के लाया मैं ।
- तो अब आप विदेसी लोगों से बात कर लेते हो ?
- हाँ, और नहीं तो क्या? वो बोलते है, हे विल यू गो । यस यस कमऑन ।
(मैं अंकल की बात सुनने की कोशिश कर रही थी, समझ रही थी और हँस भी रही थी । सामने से बाइक पर बैठे दो लड़के आ रहे थे, बड़बड़ाते हुए आगे निकले, अरे ये तो हँस रही है । (भगवान्, इस देश में सबको सद्बुद्धि दे) ख़ैर..)
- पहले तो मुझे स्पाइस का मतलब भी नहीं पता था, एक लेडीस आई और बोली कि स्पाइस मार्केट ले चलो । मैं कहूं, ये क्या होता है ? फिर समझ आया ।
मेहनत करना चाहिए.. मेहनत करने से जो है सरीर का कंफिडेंस बना रहता है । अच्छा अच्छा खाओ..खूब खाओ और कुछ नहीं । मैं तो कुछ गलत नहीं खाता.. सिर्फ़ चाय और खाना । ओनली टी एंड फूड । अरे बहुत जाम है.. यही तो फेमस है.. दिल्ली का जाम और लखनऊ का आम ।
(दरयागंज का ट्रैफिक खचाखच था । मेरे लिए जाम जाए चूल्ही में । मैं अंकल की बातों पर कॉसन्ट्रेट कर रही थी ।)
- अच्छा ये जो बिहारी लोग होते है, ये कम पढ़े-लिखे होते है । इनका प्रतिसत बहुत कम होता है ।
- तो आप बिहार से हैं क्या ?
- नहीं, मैं यूपी का हूँ.. लखनऊ का ।
ये लो, आ गया । मिट्रो । खूब चैन से रहो और भगवान को फोन मिलाते रहो ।
- हेहे.. भगवान के पास फ़ोन है ?
- हाँ, और नहीं तो क्या! देखो, तुम्हें जो भी बात हो ना, भगवान को बोल दो । कहते हैं ना, उससे शेयर करो । ऐसा बोलते है, भगवान जो है, भक्त के बस में रहते है । फौन मिलाते रहो ।
दिल्ली के कई रंग
ReplyDeleteरंगों से भरी दिल्ली दिल वालो की
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