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Friday, April 18, 2014

तुम आओ तो ...

साँसें आजकल  थमी-थमी सी  हैं
तुम आओ तो इनकी रफ़्तार बढ़े ।

इंतज़ार में पलकें बोझिल हुई जाती हैं
तुम आओ तो साथ की कोई बात चले ।

कदमें थकी हैं.. दिल परेशां सा हैं
तुम आओ तो ये मंज़िल की ओर बढ़े ।

हो सके तो आना ऐसे कि
       सारा ज़माना रश्क़ करें मुझसे
तुम आओ तो हम तुम्हारे साथ चले ।

जो दीदार ना हुआ तो बिखर जायेंगे हम
जो  तुम  आओ तो  ये साँस  चले ।

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