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Tuesday, March 19, 2013

यूँ ही......


  1. ऑटो वाले ने अचानक स्पीड स्लो कर दी,पीछे की सीट पे बैठे दोनों करीब गए..उसने झट से रीतू का हाथ पकड़ लिया..घर पहुँचने की जल्दी किसे थी !
  2. आज तुम्हे सपने में देखा..वहाँ भी मुझसे नज़रें चुरा रहे थे तुम..अच्छा! याद आया..अब तुम किसी और के 'नूर' हो ना...
  3. छत पे कपडे सुखाते वक़्त सौम्या ने चिढ़ते हुए कहा,"हमेशा हमलोगों को ही ब्रा तौलिये के नीचे क्यूँ सुखानी होती है"..माँ और दादी गेहूं पसारते हुए एक-दूसरे के चेहरे पे जवाब तलाशती रहती गयी
  4. वो जो पहली बारिश की बात बतायी थी तुमने...उसका क्या??
    अब तो ये बारह महीने आती है... बिल्कुल तुम्हारे याद की तरह... कभी भी......
  5. दिवाली की शाम उसके दुपट्टे में लगी आग ने पल भर में ही उसके पूरे शरीर को लपटों में ले लिया...आग लगी थी या....
  6. मैंने कहा था "साथ चलेंगे", लेकिन वो तो मुझे मसल कर आगे निकल गया और अपना जीवन खुशहाल कर लिया..साथ चलना क्या, उसने तो साथ दिया भी नहीं...
  7. माँ कहती थी.."आंसू पोंछ, हिम्मत कर, बनेगी तकदीर, मेहनत कर" -- बस ये सोंचते ही महिमा उठकर खड़ी हो गयी..आगे बढ़ने लगी...
  8. अटारी बॉर्डर से फैज़ के जिस्म ने लाहौर के लिए ट्रेन तो ले ली थी लेकिन उसका दिल भारत में ही रह गया था.. अमृतसर में दिखी उस 'हूर' के पास शायद... 
  9. कार से जैसे ही मीता के ससुर 'डोसे' का आर्डर देने उतरे..मीता ने झट से अपने पति को चूम लिया...दोनों घर की टेंशन दूर करने लगे...
  10. खफ़ा हो मुझसे...बेवफाई मैंने तो नहीं की थी...माँगा था तुम्हारा साथ...दुआएं हमने भी तो की थी...
  11. वो पूछते है मुझसे तबियत मेरी..क्या बताये की हमें तो साँस भी उनकी एक झलक से आती है...
  12. अपने हाथो की लकीरों को हर किसी को यूँ दिखाया नहीं करते...कोई ढूंढ लेगा अपना रास्ता इसमें....
  13. पहली बार दोनों ऑनलाइन मिले थे...लेकिन बुकफेयर में जब अचानक दोनों टकराए..... और अवनी ने हाथ मिलाया तो वो अवनी का हाथ ही नहीं छोड़ पाया...बस एकटक देखता रह गया... अवनी ने हाथ की ओर इशारा किया ...
  14. क्यूँ दूरियों का बेमतलब लुत्फ़ उठाते हो...
    कभी बेवजह फासले मिटाने की तो सोचो...
  15. वो मुझे इतना चाहने लगेगा मालूम न था.. एहसास हुआ होता तो नज़रें ही ना फेरती...
     

6 comments:

  1. हर पंक्ति हज़ार कहानियाँ कहती हैं !

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  2. खूब समेटा है एहसासों को चंद लाइनों में

    5." कभी आग मर्दों को क्यूँ नहीं लगती ? "

    मेरे तरफ से

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  3. i can only say, Unbelievable and Ultimate.

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  4. एक प्रस्फुटन अभ्व्यक्ति का या सतत प्रश्नों सा बहता मन लिखती दिल खोल कर हो छोड़ जाती पाठक को मौन तुम सचमुच उकेरती हो उत्तरों के प्रश्न सूनी फलक पर आंचल तुम विविधा हो ...

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  5. बहुत बहुत शुक्रिया आप सब का..

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