आपका टाइमपास करना हमारे लिए घातक हो जाता है । माना कि हमने भी आपके इनबॉक्स में लगातार संदेश भेजे.. लेकिन हमारे इनबॉक्स में आपका संदेश आते रहना, हमें किसी ख़याली पुलाव पकाने के लिए मजबूर कर देता है । आपको पता होता है कि आप ये सब महज़ अपने समय को काटने के लिए कर रहे हैं (जो नज़रिया आप साफ़ नहीं करते).. लेकिन हमें बेवजह कोई बेवकूफ़ाना खेल खेलने की आदत नहीं होती तो इसलिए हम आपकी इस कला को समझ नहीं पाते । बेहतर हो आगे के लिए आप की जमात ये बात समझ लें (पूरे आदर के साथ कह रहे हैं) । वो क...्या कहते हैं, डिच करना.. ब्रेक अप होना.. इन शब्दों से दूर हैं हम.. पर इन सब वक़्त पर उठी भावनाओं से भी ज़्यादा ख़तरनाक भावनाएं हमारे अंदर उठती है, जब हमें ऐसी किसी परिस्थिति से गुज़रना पड़ता है । उसपर भी आपका सवालों से दूर भागना.. और हमसे अपने लिए दुआ मांगना, हमें हमारी औरत होने की गरिमा याद दिलाता है । औरत हैं तो, दुआ देने का ठेका हमने ही ले रखा है क्या! चाहे आपने हमारी भावनाओं का कबाड़ा ही क्यूँ ना किया हो । आप कहेंगे, हमने भी तो बातों में मज़ा लिया था । क्यों ना लेंगे, हमें अपना नज़रिया कुछ और लगा था.. आपका नज़रिया दूसरा था । वैसे भी हम औरतें बातों-बातों में यूँ ही 'किसी' से भी अपनी सारी बातें नहीं कह जाते.. इस बात की समझ आप को अच्छी तरह होनी चाहिए थी । इसके बाद भी ऊँगली हमारी अस्मिता पर ही उठेगी.. सवालात होंगे .. कहा जाएगा तुम्हारी ही गलती रही होगी । और फ़िर, आत्मग्लानि का मंथन । ख़ुद से सवाल- कहाँ चूक हो गयी.. हमें ही बात नहीं करनी चाहिए थी शायद.. जवाब नहीं देना था । मतलब दोनों ही परिस्थितियों में सवाल हम पर और हमारा सवाल ख़ुद पर..!