यह यात्रा संस्मरण मेरा नहीं । इसमें मेरे भैया की पहली विदेश यात्रा के दौरान पर्थ शहर में घटी एक घटना का ज़िक्र है । शब्द उसी के हैं, बस ब्लॉग मेरा है । बहुत दिनों पहले उससे ज़ोर-ज़बरदस्ती से इस घटना को डायरी में लिखवा तो लिया था पर ब्लॉग पर आज टाइप करके डाला । पब्लिश करने जा रही थी तो ध्यान आया कि आज ही की तारीख़ पर भैया ने उड़ान भरी थी । अब यह यात्रा संस्मरण आप सब से शेयर कर रही हूँ...
उस दिन मैं पर्थमिंट (Perthmint) से बैज़ंडीन (Bassendean) स्टेशन तक ट्रेन में सफ़र कर रहा था । स्टेशन पर टिकट ख़रीदने के लिए मैं क्यू में लग तो गया, लेकिन जब मेरी बारी आई तो पता चला कि वह एक इन्क्व्यारी काउंटर है और ट्रेन की टिकेट ऑटोमैटिक टिकट वेंडिंग मशीन (एटीवीएम) से मिलेंगे ।
माफ़ कीजियेगा, मैं बताना भूल गया। ये ऑस्ट्रेलिया के एक शहर पर्थ की घटना है । मेरी पहली विदेश यात्रा के दौरान की । हाँ, मुझे पता नहीं था कि भारत की तरह विदेश में बड़े नोट लेकर घूमना आम बात नहीं है । मेरे पर्स में पचास-पचास डॉलर के नोट थे, वो भी कई सारे । क्यूंकि मुझे लगा था कि अगर ज़रुरत पड़ जायेगी तो कहाँ-कहाँ एटीएम ढूंढता फिरूंगा !
ख़ैर, किसी तरह खुदरे पैसे जोड़ जाड़कर मैंने एटीवीएम से टिकट ली और ट्रेन के सफ़र पर निकल पड़ा । एक के बाद एक ख़ूबसूरत इलाकों से होती हुई ट्रेन बैज़ंडीन स्टेशन पहुंची । बिलकुल वीरान, सुनसान, खाली पड़े स्टेशन पर कोई भी नहीं था .. सिवाय एक स्टेशन मास्टर और एक पुलिस वाले के । जिसने दिल्ली मेट्रो के रणभूमि टाइप वाले मेट्रो स्टेशन देखे हो, उसके लिए ये सब बहुत ही सुकून देने वाला था..अचंभित करने वाला तो था ही । वहाँ से निकल कर मैंने एक बस ली और कैवरशम वाइल्डलाइफ पार्क (Caversham Wildlife Park) के लिए चल दिया। वीकेंड पर यही जगह देखूंगा, ऐसा प्लान मैंने बनाया था । सो वहाँ पर मैंने बहुत सारे कंगारू के साथ कई और जानवर देखे ।
आराम से पूरा पार्क घूमने के बाद, (वापसी की टिकट खरीदने के लिए मुझे खुल्ले पैसों की ज़रुरत पड़ेगी.. ये बात मैं भूल चुका था।) मुझे बैज़ंडीन स्टेशन वापस आने के लिए टिकट खरीदनी थी, पर मेरे पास छोटी अमाउंट का कोई नोट या सिक्का नहीं था । कम से कम पचास डॉलर का नोट ही जेब में था । मुझे पचास डॉलर का चेंज चाहिए था, पर स्टेशन पर सिर्फ एक पुलिसवाला था । जब मैंने हिम्मत करके उससे पचास रुपये के चेंज देने की बात कही, तो पुलिसवाले ने मुझे यूँ देखा जैसे मैंने कुछ बहुत बुरा कह दिया हो । थोड़ी ऊँची आवाज़ में उसने मुझसे कहा, "Oh lord! 50 dollars! That's a big one. You can do a lot with that money but can't get a change. Go, get yourself a coffee from the market opposite the road. This way you can get coins."
इस बीच, मेरी बात ट्रेन स्टेशन से बाहर निकलते एक सज्जन ने सुनी और मेरे पास आकर मुझे एक डॉलर दे दिया और कहा, "Keep it. You can ask someone else for help for the rest of the amount." मैं अवाक् देखता रह गया.. वो सज्जन आगे निकल गए । पर फिर मैंने सोचा एक डॉलर काफ़ी नहीं है, इसलिए मैं स्टेशन से वापस बाहर निकल कर मार्केट पहुंचा । जिस कॉफ़ी शॉप की बात उस पुलिसवाले ने कही थी, वो दस मिनट पहले बंद हो चुका था । एक वृद्ध जोड़े से पूछा तो पता चला कि शाम पांच बजे सारी दुकानें बंद हो जाती है, पर आगे की तरफ़ एक-दो दुकानें खुली होंगी । मैं आगे बढ़ा, पर एक भी दुकान खुली न मिली । आगे एक ट्रैफिक सिग्नल पर सड़क पार करते वक़्त बैसाखी लिए एक आदमी (शायद भिखारी) से मैंने अपनी परेशानी ज़ाहिर की । मैं अभी ये जानने की कोशिश कर ही रहा था कि आगे कोई दुकान वगैरह है या नहीं.. इतने में ही उसने मुझे 70 सेंट (cent) दे दिये और कहते हुए निकल गया कि आगे किसी और से मांग लेना। मैं सत्तर सेंट हाथ में लिए खड़ा रहा.. मैं समझ नहीं पाया भिखारी मैं था या वो ।
ख़ैर, ये जंग मुझे जारी रखनी थी.. सो मैं आगे बढ़ा । वहाँ मुझे दो महिलाएं मिली । जैसे ही मैंने अपनी बात कहनी शुरू की, उनमें से एक ने कहा, "No,No! I don't have any money. Go away." अब इस बार मुझे यकीन हो गया था कि मैं परदेस में भिखारी घोषित हो चुका हूँ ।
अब तक मेरे पास 1 डॉलर 70 सेंट्स हो चुके थे । टिकट 4 डॉलर 50 सेंट्स की थी, इसलिए मुझे और पैसे चाहिए थे । आगे बढ़ा तो एक लांड्री में खूबसूरत गोरी लड़की दिखी। वो कपड़े धो रही थी । दूध का जला छाछ भी फूँक-फूंककर पीता है और किसी ख़ूबसूरत लड़की के सामने बेईज्ज़ती हो, ये किसे मंज़ूर होगा । इसलिए मैंने उससे मदद मांगने से पहले, मेरी जेब के सारे पैसे निकाले और कहा, "I have $600 and I am not a beggar. I need to get one of these bills changed so that I can buy a return ticket to Perthmint Station worth four dollar fifty cents and the automatic ticket vending machine is not accepting a $50 bill. Would you be able to help by changing this bill to smaller ones?"
इतनी धमाकेदार परफॉरमेंस के बावजूद उस लड़की ने चेंज नहीं दिया, पर मुझे एक डॉलर दे दिया । मेरे मना करने पर उसने कहा कि वो मेरी मदद कर रही है और बाकी की रकम मैं किसी और से मांग लूं ।
अब मेरे पास दो डॉलर सत्तर सेंट्स थे, टिकट खरीदने के लिए अब भी मेरे पास पूरे पैसे नहीं थे । मैं पूरी तरह से परेशान था और थक भी चुका था । आगे बढ़ा तो देखा अब वो सड़क खत्म हो चुकी थी और वो मार्केट भी । वहाँ से एक रेजिडेंशियल कॉलोनी शुरू हो रही थी । थोड़ी दूर अंदर जाने पर एक छोटी दुकान दिखी, जिसमें soft drinks, cookies और biscuits जैसे आइटम बिक रहे थे । मैं खुश हो गया कि अब कुछ खरीदकर अपने पचास डॉलर के खुल्ले करा लूँगा । जब वी मेट की गीत की तरह मैं मन ही मन हाथ जोड़कर कहने लगा - प्लीज़ ! बाबाजी अब इस रात में और excitement मत देना। लेकिन कहानी अभी बाकी थी ।
दुकानदार फ्रेंच फ्राइज तल रहा था ।
"Hi, I'd like to have a coke." मेरे ऐसा कहने पर दुकानदार ने कहा, "Anything else, sir?"
मैंने आनन-फानन में एक स्मॉल फ्रेंच फ्राइज आर्डर कर दिया, क्यूंकि अब तक मुझे बहुत जोर की भूख लग चुकी थी । चार डॉलर के सामान के लिए दुकानदार ने मेरे पचास डॉलर के खुल्ले दे दिए। खुल्ले पैसे देखकर मुझे लग रहा था, मैंने कितनी बड़ी जंग जीत ली है ।
दुकान से निकलते वक़्त जब मेरी नज़र फ्रेंच फ्राइज के डब्बे पर पड़ी तो बड़ी हैरानी हुई । क्यूंकि वो इंडिया के मैकडी के फ्रेंच फ्राइज से दस गुने से भी ज़्यादा बड़ा था । ख़ैर, था तो यह मेरी मेहनत का ही फल । खाते हुए मैं स्टेशन पहुंचा और ATVM से वापसी की टिकट खरीद कर ट्रेन में चढ़ गया । इस बीच स्टेशन पर मौजूद उस पुलिसवाले ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा, "Man! Finally you got it." ट्रेन का दरवाज़ा बंद हो चुका था और मुझे ऐसा लगा जैसे भगवान उस पुलिसवाले के माध्यम से मुझे बहुत सारी बातें बताना चाह रहे हो ।
मैं इस घटना से काफ़ी कुछ सीख चुका था । अव्वल तो ये कि हमारे देश में ऐसी मदद देने वाले लोग कम मिलते हैं । और उस परदेस में मुझे भिखारी समझ कर या ना समझकर हर किसी ने बेहिचक मदद की । । यह संभव था कि टिकट के पूरे पैसे मांगकर जुटाये जा सकते थे । पर खुद ही आगे आकर मदद करने वाले लोगों का मैं शुक्रगुज़ार रहूँगा ।
ख़ैर, फ्रेंच फ्राइज खाते-खाते मैंने ट्रेन का सफ़र भी पूरा कर लिया.. होटल तक पहुँच गया.. कमरे तक पहुँच गया.. तब जाकर फ्रेंच फ्राइज ख़तम हुई । उस रात खाना भी नहीं खाया । कैसे खा सकता है कोई! इतने फ्रेंच फ्राइज और उसके ऊपर से इतनी चटपटे अनुभव के बाद ।
दैट्स कूल, थैंक्यू फ़ोर पोस्टिंग इट..
ReplyDeleteआँचल जी | ऐसा ही तो कुछ चाहिए था मुझे | पर नेक्स्ट टाइम अपनी कोई यात्रा संस्मरण पोस्ट कीजियेगा "आँखों देखी कानों सुनी" टाइप | इंतज़ार रहेगा |
ReplyDelete:)
ReplyDeleteBeautifully written aanchal ... I am glad you share it with us :)
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