बेवजह चाँद को देखकर दिल की बातें कह जाना..
प्यार जताने का ये भी इक तरीका है ।
गुमसुम खड़े होकर आसमान को तकना..
किसी के इंतज़ार का ये भी इक सलीका है ।
आईने झूठ नहीं बोलते, ज़रा ध्यान से देखो..
तुम्हारी मुस्कराहट का रंग आज ज़रा फ़ीका है ।
तस्वीर के अन्दर से झांकती तुम्हारी आँखें..
बताओ, क़त्ल करने का ये कौन-सा तरीका है ।
अधरी सी रात है अधुरा सा ये ख़याल तुम्हारा
ReplyDeleteबेहद चलत में है पर क्या शिद्दत से ये लिखा है...
चाँद को देखता हूँ तो तुम्हारा चेहरा दिखता है,
ReplyDeleteतुमसे बातें करने का मैंने अब यही तरीका सीखा है |
सदके आँचल के एजाज़े सुखन
ReplyDeleteकुछ तो बदला सा है अंदाज
कुछ और लिखा कुछ और कहा
कुछ और गज़ल ये बोले है .....:)
वाह ! बढ़िया !
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